‘अबू धाबी में भारतीय महिला को फांसी दी जा चुकी है’, दिल्ली उच्च न्यायालय में क्यों हुई ये बात?

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Indian woman has been hanged in Abu Dhabi', why did this talk happen in Delhi High Court

Indian woman has been hanged in Abu Dhabi’, why did this talk happen in Delhi High Court | Image:
AI Photo (सांकेतिक फोटो)

अबू धाबी में चार महीने के बच्चे की कथित हत्या के लिए मौत की सजा का सामना कर रही एक भारतीय महिला को 15 फरवरी को ही फांसी दे दी गई है। यह जानकारी महिला की सलामती के लिए पिता द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को दी गई।

शहजादी खान को 10 फरवरी, 2023 को अबू धाबी पुलिस को सौंप दिया गया था और उसे 31 जुलाई, 2023 को मौत की सजा सुनाई गई। उसे अल वथबा जेल में रखा गया था। इस घटनाक्रम की जानकारी मिलने पर न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने इसे ‘‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत को बताया, ‘‘इस मामले का पटाक्षेप हो गया है। उसे 15 फरवरी को फांसी दे दी गई। उसका अंतिम संस्कार पांच मार्च को होगा।’’ सरकार की ओर से यह जानकारी 33 वर्षीय महिला के पिता द्वारा बेटी की सलामती की जानकारी पाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दी गई।

इस बीच, विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि भारतीय दूतावास ने शहजादी को हर संभव कानूनी सहायता प्रदान की, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सरकार को दया याचिकाएं और क्षमादान अनुरोध भेजना भी शामिल है। शहजादी को एक शिशु की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था और यूएई में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी। यूएई की शीर्ष अदालत, कोर्ट ऑफ कैसेशन ने सजा को बरकरार रखा था।

विदेश मंत्रालय ने बताया कि यूएई के अधिकारियों ने 28 फरवरी, 2025 को दूतावास को सूचित किया कि शहजादी की सजा पर स्थानीय कानूनों के अनुसार अमल कर दिया गया है। उसने कहा कि शहजादी के परिवार को मामले की जानकारी दे दी गई है।

उत्तर प्रदेश के बांदा निवासी शब्बीर खान ने इससे पहले याचिका में कहा था कि उनकी बेटी शहजादी की स्थिति को लेकर ‘‘घोर अनिश्चितता’’ है और स्थिति जानने के लिए विदेश मंत्रालय को कई बार आवेदन दिया लेकिन सारी कोशिशें बेकार गईं।

याचिका में आरोप लगाया गया कि शहजादी को उसके नियोक्ता के चार महीने के बच्चे की कथित हत्या के मामले में स्थानीय अदालतों के समक्ष अपना पक्ष रखने का पूरा मौका नहीं दिया गया और उस पर अपराध स्वीकार करने के लिए दबाव डाला गया, जिसके कारण उसे मौत की सजा मिली। याचिकाकर्ता के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि उनकी सीमित प्रार्थना यह जानने के लिए है कि क्या उनकी बेटी जीवित है या उसे फांसी दे दी गई है।

उन्होंने बताया कि 14 फरवरी को शहजादी ने जेल से परिवार को फोन करके बताया था कि उसे एक-दो दिन में फांसी दे दी जाएगी और यह उसकी आखिरी कॉल है। उन्होंने बताया कि तब से परिवार को उसकी कोई जानकारी नहीं है।

केंद्र का पक्ष रख रहे अधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि दूतावास के अधिकारी और याचिकाकर्ता संपर्क में हैं और परिवार के सदस्यों के बेटी की अंत्येष्टि में शामिल होने की व्यवस्था की जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। हमने अदालत में उसका प्रतिनिधित्व करने के लिए वहां एक कानूनी फर्म को नियुक्त किया। लेकिन वहां के कानून शिशु की हत्या के मामले में बहुत ही कठोर हैं।’’

याचिका के मुताबिक शहजादी वैध वीजा के साथ दिसंबर 2021 में अबू धाबी गई थी। अगस्त 2022 में, उसके नियोक्ता ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसके लिए शहजादी को देखभाल करने वाले के रूप में नियुक्त किया गया था। सात दिसंबर, 2022 को, शिशु को नियमित टीके लगाए गए और उसी शाम दुखद रूप से उसकी मृत्यु हो गई।

याचिकाकर्ता के मुताबिक शिशु के माता-पिता ने पोस्टमार्टम की अनुमति देने से इनकार कर दिया और साथ ही मौत की जांच से छूट देने के समझौते पर भी हस्ताक्षर किए।

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