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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख हम जानेंगे कि क्या कॉल रिकॉर्डिंग करना दण्डनीय अपराध है ? अक्सर हम जब किसी भी व्यक्ति से कॉल पर बात करते है, वह व्यक्ति चाहे जान पहचान वाला ही क्यों न या अनजान व्यक्ति जिससे हम पहली बार कॉल पर बात कर रहे है , वह अनुमति के बिना आपसी बातों को रिकॉर्ड करने लग जाते है , ऐसे में क्या अनुमति के बिना रिकॉर्ड की गयी काल दंडनीय अपराध है और अगर है , तो किस कानून के तहत और ऐसे अपराध की सजा का प्रवधान क्या है ?
इन सवालों के जवाब जानते है , उससे पहले कॉल रिकॉर्डिंग क्या है जान ले।
1. काल रिकॉर्डिंग क्या है ?
कॉल रिकॉर्डिंग एक ऐसी डिजिटल प्रक्रिया है , जिसमे व्यक्ति फ़ोन कॉल के शुरुवात या मध्य में आपसी होने वाली बातचीत को ऑडियो फॉर्मेट में रिकॉर्ड कर सकते है। कॉल रिकॉर्डिंग का उपयोग कई प्रकार के कार्य के लिए किया जाता है जैसे कि :-
- ग्राहक सेवा निगरानी के उद्देश्य से ताकि कॉल सेंटर में गुणवत्ता की जाँच के लिए।
- प्रशिक्षण के उद्देश्य के लिए ताकि नए कर्मचारियों को सिखाने के लिए।
ऐसी कॉल जब भी रिकॉर्ड की जाती है , तो कॉल पर सामने होने वाले व्यक्ति को एक ऑडियो फाइल सुनाई जाती है कि यह कॉल ट्रेनिंग व् गुणवत्ता के उद्देश्य से रिकॉर्ड की जा सकती है , कॉल पर सामने वाला व्यक्ति इस ऑडियो में कहे गयी बात को अनुमति प्रदान करते हुए कॉल को जारी रखता है।
नोट :- कॉल रिकॉर्डिंग कई देशों में कानूनी रूप से वैध नहीं है , हम भारत देश की बात करें ,तो भारत में कॉल रिकॉर्डिंग सामने वाले व्यक्ति की अनुमति के बिना करना दण्डनीय अपराध ऐसे अपराध के लिए व्यक्ति को जुर्माने व् कारावास से दण्डित किया जा सकता है।
2. भारत में कॉल रिकॉर्डिंग करने की सजा क्या है ?
कॉल रिकॉर्डिंग को लेकर भारत देश में कुछ कानून व् नियम बनाये गए है। कॉल रिकॉर्डिंग करना एक तरह से किसी भी व्यक्ति के निजता के अधिकार का हनन है। भारतीय संविधान भारत के प्रत्येक व्यक्ति को निजता का अधिकार प्रदान करती है। निजता के अधिकार के तहत किसी भी व्यक्ति के निजी क्षणों को सार्वजनिक करना एक अपराध की श्रेणी में आता है , जो कि भारतीय कानून के तहत दण्डनीय है। कॉल रिकॉर्डिंग के सम्बन्ध में निम्न कानून है :-
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 धारा 72 गोपनीयता और एकांतता भांग करने के लिए दंड।
कॉल रिकॉर्डिंग बिना अनुमति के गोपनीयता और एकांतता के अधिकार का उल्लंघन करना है , इस अपराध के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 72 के तहत दण्डनीय है।
यदि किसी व्यक्ति ने इस अधिनियम, इसके अधीन बनाये गए नियमों या विनियमों के अधीन प्रदान किन्ही शक्तियों के अनुसरण में किसी इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख (जैसे कि किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप या माइक्रोफिल्म या कंप्यूटर उत्पादित कसूक्ष्मीका मेंडाटा , अभिलेख या उत्पादित डाटा , भंडारित , प्राप्त या प्रेषित प्रतिबिम्म या ध्वनि अभिप्रेत है। ), पुस्तक, रजिस्टर, पत्राचार, सूचना,दस्तावेज़ या अन्य सामग्री में सम्बद्ध व्यक्ति की सहमति से बिना पहुंच प्राप्त कर ली है, और वह किसी व्यक्ति को उस इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख, पुस्तक, रजिस्टर, पत्राचार, सूचना, दस्तावेज या अन्य समग्री को प्रकट करता है तो कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।
दण्ड
कारावास – 2 वर्ष तक कारावास से दण्डनीय हो सकेगा।
जुर्माना – 1 लाख रूपये तक जुर्माने से दण्डनीय हो सकेगा ।
2 वर्ष तक कारावास और 1 लाख रूपये जुर्माने दोनों से दण्डनीय होगा।